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Poem – રહેવું પડ્યું

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દિલ તો જાણી જોઈ ને મારી નાખવું પડ્યું,
આ જીવન જીવવા માટે શુ ના કરવું પડ્યું?

ઉપર થી ઉડીને ચાલી ગઈ વાદળી,
ઇન્તઝાર માં કેટલા પ્યાસા રહેવું પડ્યું.

એવું નથી કે નથી હિંમત ઈકરાર ની,
બસ જમાના ની સામે છાના રહેવું પડ્યું.

વિરહ ના દર્દ થી પડ્યા છે આ દિલ ના ઘાવ,
મજબૂરી જોવો કે છતાંય હસતા રહેવું પડ્યું.

ચાહત તો જીતી જાત એ મહાભારત,
બતાવી ખાનદાની કર્ણ એ ને મરવું પડ્યું.

છે મોહબત્ત આજેય અમારી તો એવીજ અકબંધ,
તું ના રહી તેવી ને દરવાજે થી પાછું વળવું પડ્યું.

#jppoems

 

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इन से मिलये, ये हे महाशय मुंगेरीलाल,
नहीं हे पैसे जेबमे खानेके चावल-दाल,

दिनभर युही बैठकर गप्पे लड़ाते नामदार,
और कहते सबको, “में भी हु चौकीदार” ,

बाते ऐसी की इस बार, यही बनाने वाले हो सरकार,
सलाह देते उसको,जैसे चूटनीपंच हो इनका कामदार,

भाजप-कांग्रेस की बातो में,आपसमे भीड़ जाते धरार,
जैसे की वो रख के गए हो, घर पे इनके मोटरकार,

देश अपना हे, अच्छी चुननी हे सरकार,
पर ये झूठी चर्चाओं से, क्या होगा यार?

लोकतंत्र ने दिया हे आपको, आपका क़ीमती एक अधिकार,
PLEASE करीयेगा मतदान, करनेको देश के सपने साकार.

#jppoems

Hindi Poem-डूबता हुवा सूरज

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सूरज, तेरा और मेरा हाल ख़राब हे,
डूबते हुवे सूरज का कहा कोई यार हे?.

देखा, छोड़ गई रोशनी भी तुजे आते हुवे अंधकार में,
कहा जाने दुनिया,हे शोलों का घर तू पुरे आसमान में.

भले ही आज डूब रहे हो, किसी छोटे से “जय” की आस में,
रख धीरज, बदलेगा दिन और उठेंगे फिर से इसी आसमानमे.

Hindi Poem – मेरे उम्र में बड़े दिल से जवान दोस्ती के लिए …

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क्या होता हे बुढ़ापा?,  हमें भी आज बता दीजिये,
कह के खुदको बूढ़ा, अपने आप को ना सजा दीजिये|

है माना की उम्र के साथ ये शरीर थक जाता हे,
ये दर्द,वो दर्द,ये दवाई,वो दवाई,सब बढ़ जाती हे|

तो क्या यहाँ हर दर्द की दवा हे,
हर गम में खुद को जिन्दा रखना भी एक कला हे,
बदल घीरे हे तो बरसेंगे तो ज़रूर,
निकले थे बहार और भिग गए, उसमे आपका क्या कसूर?

जो हो रहा हे उसको अपनी व्यथा नहीं,  उसकी रजा समजे,
चलो मना की देगा अँधेरा घना कलको, तो क्या? आज तो मजे से जी ले|

हर जलता दिया कभी तो बुज जाता हे,
इंसान हो या प्रकृति, हमेशा ना टिक पता हे,
तो बैठ के दिए के सामने,बुज ने का ना इंतज़ार कर,
उठो, मत सोचो कल की, आज का दिन तो हसते हुवे पर कर|

(और मेरे युवा दोस्तों)
मानो ना मानो,  कुछ चीजे सिर्फ उम्र ही सीखा सकती हे,
सिख़लो अपने बड़ोसे वर्ना दुनियादारी की किताब कहा आती हे?

नमन आपको की ये जिंदगी की ढोकरे खाके भी हसते हुवे चेहरे हे,
आपसे ही सीखा हे की मत कर रोया गमो में, हर रोज एक नये सवेरे हे|

Hindi Poem – सपना और क्षमता

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नदी को पाने के सपने देखने लगा,
तालाब खुदको समंदर समजने लगा.

छोटीसी चिड़िया होके, क्या आसमान छुओगे,
बाज से पंख हे क्या? तो बाज से ऊपर उड़ोगे.

सपने देखना मना नहीं पर कुछ ढंग का तो देखो,
अपनी क्षमताओ को पहचनो और फिर किसीसे भिड़ो.

कमजोर हो, मत भिड़ो और हार मनो, ऐसा नहीं हे,
खुदको विस्तारो, धीरज रखो और समय आने पर तूट पड़ो.

खुदपे भरोषा, हर हार के बाद भी आशा,
जितनेकी अभिलाषा,कुछ कर दिखनेका सपना,
ठोकरें खा कर डगमगाना,कभी संभलना, कभी गिर जाना,
कभी हसना, कभी रोना, पर रोते हुवे भी चलते रहना,
यही हे सफर जिंदगीका, मानो तो सुहाना वर्ना कांटो का आशियाना.

HINDI GHAZAL – होना चाहिए

My Post (2)(1) बस अब थक चूका हु तैरते तैरते, किनारा होना चाहिए,
ये जिंदगी हे की रूकती ही नहीं, आशियाना होना चाहिए.

(2) ये रोज़ बरोज़ की घिसीपिटी सी जिंदगी, कुछ नया होना चाहिए,
भीड़ के बिच कोई चिल्लाये मेरा नाम पिछेसे, में मुडु तो तू होनी चाहिए.

(3) तेरी ये ना भी हे कबूल मुझको, दर्द तुजे भी तो होना चाहिए,
हारने को हु तैयार वो सो बाजिया, पर वहा तेरी जित होनी चाहिए.

(4) जीता हु सबसे बड़ा इनाम आज में, किसे बताऊ? दोस्त होने चाहिए,
निकला था अकेला की पार करलूँगा रास्ता, डगमगाया, सहारा होना चाहिए.

(5)सागर के पास गया था प्यासा, प्यासा का प्यासा, पानी हे? मीठा होना चाहिए,
गाड़ी में बैठे भिखारी को दे गई दुवा वो फ़ुटपाट की बुढ़िया, दिल हे? बड़ा होना चाहिए.

(6)सोचा था पा लूगा उसका प्यार जो हु वही रहकर, पर रंग बदलने भी चाहिए,
मुहाबत एक कला हे मानो ना मानो दोस्तों, ये कलाकारी भी आनी चाहिए.

(7)मात्र पंख होने पर ना उड़ सकता कोई, हौसला होना चाहिए,
जला सकता हे तू भी वो अँधेरा, बस सीने में वो आग होनी चाहिए.

(8)रोकता हु खुदको रोने से, रो वु भी कहा?, वो आंचल तो होना चाहिए,
जी लूंगा में नर्क में भी वो खुशीसे, बस वहा मेरी प्यारी माँ होनी चाहिए.

Hindi Poem – नदी, पर्वत और सागर

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कहा हुवा होगा प्रथम काव्य का पठन?
क्या रहा होगा उस ग़ज़ल का जनम?

जब सागर से मिली होगी कोई अप्सरासी नदी,
पहली बार एक दूसरे में समाई होगी दो जिंदगी.
सागर ने वो जुल्फों को सुलझाया होगा,
एक दूसरे से खेलते वो लब्ज़ो ने काव्य को जन्माया होगा.

मिलन था ये, तो कविताओं में दर्द कौन लाया होगा?
समाये बैठा था कोई पर्वत नदी को दिलमे,
शायद वहींसे ये फुट आया होगा.

कह रहे हो तुम पर्वत को सफल,
दिख रहा हे वो ऊचा खड़ा बदन,
नहीं जानते क्यों वो रौशनी वहा हे,
वो तो उसकी याद में जलता हुवा दिया हे.

नहीं समज पा रहा हु में वो सच को,
पाके नदी को सागर वहा का वहा,
गम में डूबा पर्वत क्यों उठ जाताहै,
पढ़ा हे मेने जितने भी विभूति यो के जीवन,
भुतकल में सबके यही नज़र आता हे.

शायद किसी की विरह में जीना,
वो अंदर से रोना,
बहार से सख्त बनता होगा,
इस जिंदगी की लड़ाई में
हो सकता हे वही से बल आता होगा.
या फिर टूटे हुवे वो दिलने,
दिमाग से सोचना सिखाया होगा,
उस सपनो में जीते बेफिक्रे को,
वास्तविकता से मिलाया होगा,
खोके उसको उसने,
खोने से डरना छोड़ा होगा,
डरना मानो हे आधा हारना,
बस “उसीने” उसको जितना सिखाया होगा.

Hindi Poem – रक्षा बंधन मुबारक

एक छोटी बहन को अपने घर से दूर रह रहे बड़े भाई का राखी के दिन पत्र

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एक था घोसला , तीन थी चिड़िया,
माँ बाप और बेटा, खुशियों का मेला,
पर हुवा यु की चिड़िया वो बड़ी हुई,
किलकारियां शरारते मानो थम सी गई,
तभी सुंदर नन्ही परी सी थी तू आई,
घरमे किलकारियां फीरसे थी छाई,

याद हे छोटी वो खिलोनो को ज़गड़ना,
खाना क्या बनेगा? उसे महभारत सा बनाना,
पापा की लाड़ली और उनसे तेरा वकालत कराना,
कर्ण सा में और हर बार तेरा अर्जुन सा जित जाना,
यही सब बचपन की यादे चली आई ,
जब कलाई पर बाँधी तेरी राखी नजर आई.

बस सदैव् इसी तरह से हसते तू रहना,
अपने सपनों को पूरा करने को जीना,
गिरेगी, पर उठना, गिरने से न डरना,
हे भरोसा मुझे मेरे लहू पे,
बस तू चलना और चलते ही रहना ,
पायेगी मंजिल, विश्वास रखना,
राखी मुबारक, ख़याल रखना.

ली.
तेरा भाई.

Hindi poem – प्रेम पत्र

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चलो आज विज्ञान से प्रेम की और ले जाता हु,
सोरमंडल का सहारा लिए कुछ और ही दिखलाता हु।
चाँद और तारो की चमक झूठी,
सूरज के सामने किसी आयने जैसी,
पर अभी तक ये दिल यु ही चकराता था,
चाँद और तारो परही कवियों का दिल क्यों आता था?
समजा हु खूब आज खुदसे वो ही करामत,
छुपाके रखना सूरज को दुनिया की नजरो से सलामत,
दुनिया को दिखा के चाँद और तारो की चमक,
दूर से ही देखते रहते वो अपने सूरज की दमक।
अब हे ये की, सूरज सी हे तू, हम शर्मीले धूमकेतु,
तुही बता रोशनी के घर, दरवाजा कैसे खटखटादु।
बस ना अब अंजाम की फिकर हे,
तू नहीं तो तेरा दर्द भी कबूल हे।
पढ़ा था मरीज़ लेकिन,आज सच में ही जाना,
१% चाहिए मुहाबत में, बाकि के खर्च हिम्मत में।
बतादे तू मुझे आज यही यहाँपे,
“क्या देगी रौशनी साथ मेरा इस जहा मे?

Hindi poem – खुद पे भरोसा

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सोच रहा हे तू क्यों इतना,
चल उठ अब तो चल देंगे।
रख भरोसा खुद पर तू,
निकल घर से बहार, अब तो कर देंगे।
हा मना की हे अँधेरा घना वहा,
तो क्या, थोड़ा खुदसे भी जल देंगे।
सामने हे खड़ा बड़ा पहाड़,
रख मनमे हाम की अबतो चढ़ लेंगे।
देखा हे गाँधी से हारता पूरा इंग्लिशस्तान,
यही तो हे मन का तूफान,चल बदल देंगे।
सुना हे, एक खिलोने की कश्ती पार करगई दरिया,
खुदा, जो यही हे तेरा इनाम तो हिम्मत हम भी कर लेंगे।
आया था एक तूफान और कहाथा हमसे कानमे, पर सुन,
पलट देगा तू कश्ती हमारी,हे पोलादी जिगर, खुदसे तर लेंगे।