(1) बस अब थक चूका हु तैरते तैरते, किनारा होना चाहिए,
ये जिंदगी हे की रूकती ही नहीं, आशियाना होना चाहिए.
(2) ये रोज़ बरोज़ की घिसीपिटी सी जिंदगी, कुछ नया होना चाहिए,
भीड़ के बिच कोई चिल्लाये मेरा नाम पिछेसे, में मुडु तो तू होनी चाहिए.
(3) तेरी ये ना भी हे कबूल मुझको, दर्द तुजे भी तो होना चाहिए,
हारने को हु तैयार वो सो बाजिया, पर वहा तेरी जित होनी चाहिए.
(4) जीता हु सबसे बड़ा इनाम आज में, किसे बताऊ? दोस्त होने चाहिए,
निकला था अकेला की पार करलूँगा रास्ता, डगमगाया, सहारा होना चाहिए.
(5)सागर के पास गया था प्यासा, प्यासा का प्यासा, पानी हे? मीठा होना चाहिए,
गाड़ी में बैठे भिखारी को दे गई दुवा वो फ़ुटपाट की बुढ़िया, दिल हे? बड़ा होना चाहिए.
(6)सोचा था पा लूगा उसका प्यार जो हु वही रहकर, पर रंग बदलने भी चाहिए,
मुहाबत एक कला हे मानो ना मानो दोस्तों, ये कलाकारी भी आनी चाहिए.
(7)मात्र पंख होने पर ना उड़ सकता कोई, हौसला होना चाहिए,
जला सकता हे तू भी वो अँधेरा, बस सीने में वो आग होनी चाहिए.
(8)रोकता हु खुदको रोने से, रो वु भी कहा?, वो आंचल तो होना चाहिए,
जी लूंगा में नर्क में भी वो खुशीसे, बस वहा मेरी प्यारी माँ होनी चाहिए.